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|रचनाकार=वाल्टर सेवेज लैंडर
|अनुवादक=तरुण त्रिपाठी
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<poem>
तमाम रास्ते हैं ज़िन्दगी में
सब ख़त्म हो जाते हैं
एक तन्हा रास्ते पर
हम बढ़ जाते हैं;
और 'वह गुज़र गया?'
हमारे प्रिय मित्र बस
इतना ही कह पाते हैं..

</poem>
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