भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
}}
{{KKPustak
|चित्र=Chandni.jpg|नाम=चाँदनी सीता-वनवास
|रचनाकार=[[गुलाब खंडेलवाल]]
|प्रकाशक=--
|विविध=--
}}
 
जहाँ जी चाहे सीता जाये
 
बोले प्रभु लक्ष्मण से--'अब वह मुझको मुँह न दिखाये
 
 
'दुष्ट असुर से ठान लड़ाई
 
मैंने कुल की आन बचायी
 
पर जो पर घर में रह आयी
 
उसे कौन अपनाये!
 
'अवध उसे जो ले जाऊँगा
 
अपनी हँसी न करवाऊँगा!
 
क्या उत्तर मैं दे पाऊँगा
 
यदि जग दोष लगाये!
 
चर्चा क्या न रहेगी छायी--
 
जाने कैसे अवधि बितायी!
 
जो कंचन-मृग पर ललचायी
 
लंका उसे न भाये!"
 
 
जहाँ जी चाहे सीता जाये'
 
बोले प्रभु लक्ष्मण से--'अब वह मुझको मुँह न दिखाये
2,913
edits