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|रचनाकार=उमेश बहादुरपुरी
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|संग्रह=संगम / उमेश बहादुरपुरी
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तनी देखऽ सहरवालन हम ही गाँव के छैला।छैलातोहरा निअन हम्मर करगा में रहऽ हथ न´् लैला।।नञ् लैलाहम्मर दउलत माय-बाबू हथ, हथ हम्मर ई पूजा।पूजाहिनखर चरन में चारो धाम हइ हम्मर सरग न दूजा।दूजाहम्मर जेभी में चाहे फिन रहम न एक्को अधेला।। अधेलातनी .....हम्मर घर हम्मर मंदिर हे माय-बाबू भगवान।भगवानहिनखर एक इशारा पर हम लटवम अप्पन जान।जानरोज खाय से पहिले पूछऽ ही बाबू तू खइला।। खइलातनि ....गोड़ छू के परनाम करऽ ही जोड़ के हाँथ नमस्ते।नमस्तेन हल्लो-हाय से अप्पन रिश्ता थक जाही हँसते-हँसते।हँसतेबोलऽ अब हमरा से जादे आखिर तूँ की पइला।। पइलातनि ....हाँथ में बोतल मुँह में सिगरेट तोर दम पर मारऽ हऽ दम।दमएकरा से न´् कहियो होतो कम तोहर कोय गम।गमपी-पी कर भी जीला से बोलऽ कत्ते तों अघइला।। अघइलातनि ....जाहा तूँ तो केक्कर संग त आबऽ हऽ केकरो साथ।साथहाँथ आझ पकड़ऽ हऽ केकरो कल दोसर के बात।बातशहरी चमक के आगू सब्भे कुछ काहे भुलइला।। भुलइलातनि ....भोर के भूलल साँझ जे आबे अदमी ओक्कर नाम।नामपीये के हो जो तोहरा तऽ पी लऽ प्यार के जाम।जामहम पहिले से कहऽ हलिओ सुख तूँ अपन गमइला।। गमइलातनि .....
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