भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
107
बिछे अंगार
चला हूँ नंगे पाँवापाँव
कोई न ठौर ।
-0-
<poem>