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|संग्रह=शाम सुहानी / रंजना वर्मा
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<poem>
दूर करे सारे अभिमान
मनमोहन की मीठी तान

बना हृदय को कृष्ण निवास
गर्व अहं का दें बलिदान

चरणों में हरी के रख शीश
अहंकार का कर दें दान

कस्तूरी मृग बनना त्याग
आत्मतत्व को लें पहचान

भवसागर में डगमग नाव
प्रभु लेते सब का संज्ञान

</poem>