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{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना वर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=शाम सुहानी / रंजना वर्मा
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
जीवन केवल अफसाना है
जो आया उसको जाना है
है रंगमंच सारी दुनियाँ
बस अभिनय करते जाना है
जो सहनशक्ति की है सीमा
उसका अस्तित्व बचाना है
पग पग पर अपमानित होती
नारी को सत्व दिलाना है
रखकर तटस्थ अपना अंतर
ईश्वर से लगन लगाना है
</poem>
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|रचनाकार=रंजना वर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=शाम सुहानी / रंजना वर्मा
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जीवन केवल अफसाना है
जो आया उसको जाना है
है रंगमंच सारी दुनियाँ
बस अभिनय करते जाना है
जो सहनशक्ति की है सीमा
उसका अस्तित्व बचाना है
पग पग पर अपमानित होती
नारी को सत्व दिलाना है
रखकर तटस्थ अपना अंतर
ईश्वर से लगन लगाना है
</poem>