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{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना वर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=शाम सुहानी / रंजना वर्मा
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
एक नया संसार बसायें
सुख सुविधा के फूल खिलायें
हो न अँधेरा किसी राह पर
हम प्रकाश के दीप जलायें
अश्रु भरा हो नयन न कोई
आओ वह माहौल बनायें
भूल न पाए जिसको दुनियाँ
कुछ ऐसा हम तुम कर जायें
विश्वविजय करने को निकलें
विश्वशांति परचम लहरायें
</poem>
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|संग्रह=शाम सुहानी / रंजना वर्मा
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एक नया संसार बसायें
सुख सुविधा के फूल खिलायें
हो न अँधेरा किसी राह पर
हम प्रकाश के दीप जलायें
अश्रु भरा हो नयन न कोई
आओ वह माहौल बनायें
भूल न पाए जिसको दुनियाँ
कुछ ऐसा हम तुम कर जायें
विश्वविजय करने को निकलें
विश्वशांति परचम लहरायें
</poem>