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|संग्रह=शाम सुहानी / रंजना वर्मा
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<poem>
एक नया संसार बसायें
सुख सुविधा के फूल खिलायें

हो न अँधेरा किसी राह पर
हम प्रकाश के दीप जलायें

अश्रु भरा हो नयन न कोई
आओ वह माहौल बनायें

भूल न पाए जिसको दुनियाँ
कुछ ऐसा हम तुम कर जायें

विश्वविजय करने को निकलें
विश्वशांति परचम लहरायें

</poem>