भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आलीजौ भंवर / रेंवतदान चारण

3,523 bytes added, 17:25, 3 अप्रैल 2019
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रेंवतदान चारण |संग्रह=चेत मांनखा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रेंवतदान चारण
|संग्रह=चेत मांनखा / रेंवतदान चारण
}}
{{KKCatKavita‎}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
चंदा रे, तारां री टोळी में
म्हारौ आलीजौ भंवर व्है तौ जोय!
‘गोरी हे, गिगन में नवलख तारा
ज्यांमें आलीजौ भंवर म्हनै दीसै नहिं कोय!’
चंदा रे, तारां री टोळी में
म्हारौ आलीजौ भंवर व्है तो जोय!

‘हिरण्यां में हेर, थोड़ौ किरत्यां में जोय
चम-चम चांनणी रै चिळकै में जोय
इण खुणै जोय, थोड़ौ उण खुणै जोय
पूरब पिछम धुर दिखणादौ जोय’
‘आभै में धरा रौ बासी बसै नहिं कोय
सैयां हे, सैणां री बाड़ी में थारौ छैलभंवर व्है तो जोय!’
भंवरा रे, फूल-कळी में म्हारौ
मतवाळौ मारू व्है तो जोय!
सांईणौ साजन व्है तो जोय!
हेली अे, बाडी में सुरंगा फूल, फूलां री सुगंध
छैलभंवर म्हनै दीसै नहिं कोय!
गजरा नै अंतर मोलावण गयौ मोय
जिण बिलमाय लियौ कुण जांणै कोय
चम्पौ नै चमेली थोड़ौ केवड़ै में जोय
मेंहदी रै झाड़ बैरी महूड़ै में जोय
डाळ-डाळ जोय व्है तो पांन-पांन जोय!
‘नाजू हे, पांणीड़े री पाळ वादीलौ ढोलौ व्है तो जोय!’
हंसा रे, सरवर तीर म्हारौ सांईणौ साजन व्है तौ जोय!
‘पिणियारी है, सरवर नीर अथाग
तीर रे, रंगीलौ राजा दीखै नहिं कोय!’
तीर माथै जोय कोई अधबिच जोय
छोळां में, हिलोळां में, लहरां में जोय
इण छेड़ै जोय व्है तो उण छेड़ै जोय
माछळी रै अेड़ै-छेड़ै ऊंडै जळ जोय!

लहरां बोली नाजू है, इतरी भोळी मत होय
नैणां में, काजळ री कोर, पलकां में जोय
मेंहदी रै सुरंगे रंग, हींगळू में जोय
रग-रग, मनरी लगन व्है तो जोय!’
चंदा रे, तारां री टोळी में
म्हारौ आलीजौ भंवर व्है तो जोय!
‘गोरी हे, गिगन में नवलख तारा
ज्यांमें आलीजौ भंवर दीसै नहिं कोय!’
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits