भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
कोई ग़ैर तुझको बुरा कहे, कभी ध्यान अपना न उसपे दे
है फ़राखदिलतूइसी फ़राखदिल तू इसी लिए किये जा सदा उसे दरगुज़र
वो भी हैं सवालोंमेंअब सवालों में अब घिरे जो फ़क़ीरी बानेमेंहैं बाने में हैं सजे
कोई तो जवाब में कुछ कहे कि वो पाकदामनी है किधर