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Kavita Kosh से
आँसू बावरे।'''
104
'''घिरा आग में
व्याकुल हिरना -सा
खोजूँ तुमको।'''
105
चारों तरफ
तेरा वो सम्मोहन
कसे बन्धन।
तन माटी का
मन का क्या उपाय
तरसे नैन
अरसा हुआ देखे
छिना है चैन।'''
-0-
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