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लैटरबॉक्स / विनोद विट्ठल

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के०एफ़०सी० और मैक-डी का अतिक्रमण कोई नहीं हटा सकता
सड़कों की चौड़ाई बढ़ाने के चलते काटे गए बरगदों की तरह तुम भी ग़ायब हुए हो
और तुम्हारे लिए कोई नेशनल ग्रीन ट्रायब्यूनल चिन्ता नहीं कर रहा है
कैमलिन पेन और एम्बेसेडर कार की तरह कोई शिकायत नहीं थी तुम्हारे इस्तेमाल सेअकेले, डरे हुए, सब-कुछ उलींच देना चाहने वाले हर गुमनाम का भरोसा तुम पर था
एक दुनिया को दूसरी दुनिया के साथ खोलते थे तुम
लेकिन कभी नहीं पढ़ पाए ये दुनिया
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