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'''(बिटिया पाती के जन्म पर लिखी कविता)
फूलों ने माँगी होगी एक नयी नई प्रजाति 
दूब रूठी होगी तलुओं के नए जोड़े के लिए 
पानी ने नई प्यास के लिए अनशन किया होगा 
एक नया रँग नामकरण की प्रतीक्षा में था 
बढ़ा हुआ आकार था चान्द का 
गिनती से ज्यादा ज़्यादा थे तारे 
कहीं कुछ था हर जगह, नए वर्ण-सा 
जिससे भाषा भरी जानी थी 
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