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Kavita Kosh से
चुने जाने से ख़ुश हैं
उनसे मुझे कुछ नहीं कहना
जो मुर्दों की मानिंद मानिन्द
घर से निकलते हैं
और ख़ुद ख़रीदे हुए
सामान में बदल जाते हैं
मैं अपने जैसे गिने-चुने
लोगों को ढूँढ ढूँढ़ रहा हूँ
मुझे आग बोनी है
और अंगारे अँगारे उगाने हैं
मेरा परिचय