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|रचनाकार=यूनीस डिसूजा |अनुवादक=अनामिका|संग्रह=
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<Poem>
पहाड़ियाँ रेंग रही हैं रक्षक-वाहनों से
पर्वत-श्रेणियों पर
प्रस्थित फिर किसी दीमक लगे
शहर की ओर।ओर । 
ललछौंही देवशिला
सबको गुज़रते हुए देखती रहती है।है । 
एक बार वह बोली थी,
रक्तवर्णी पाषाण खंडखण्डसाक्षी हैं उस के।उसके ।देवशिला। देवशिला ! मैं एक तीर्थयात्री हूँ,मुझे बताओ-दिल को राहत कहाँ राहत मिलती है?
'''मूल अंग्रेज़ी अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनामिका
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