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जयन्ती / यूनीस डिसूजा

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|रचनाकार=यूनीस डिसूजा |अनुवादक=अनामिका|संग्रह=
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<Poem>
आज उस के उसके सम्मान में
श्रीमती लोबो झगड़ेंगी नहीं
श्रीमती लोपेज़ से
कि कौन सजाए वेदी को
और कैसे?भ्रातृसंघ भ्रातृसँघ की ओर से
भेंट में सिगार का डिब्बा आएगा
जैसा कि होता रहा है,
पिछले बीस सालों से।से । गिरजा-पल्ली की लड़कियाँ गीत गाएंगी।गाएँगी —
"तुम्हारे पथ पर गुलाब बिखरे रहें"।
वह अभी भी देखता रहता है--
मैं घोड़े का बछेड़ा बनूंगा
माँ। जब बड़ा हो जाऊंगा,
एक बछेड़ा- अनसधा- पालतू बिल्कुल नहीं
जिस के खुरों के चट्टान को छूते ही आग चमके।
और रोती रहे उसकी माँ
अनायास- अकारण ही।
वह अभी भी देखता रहता है — मैं घोड़े का बछेड़ा बनूँगा, माँ ! जब बड़ा हो जाऊँगा,एक बछेड़ा अनसधा पालतू तो बिल्कुल भी नहीं,जिसके खुरों के चट्टान को छूते ही चमकेगी आग । और रोती रहे उसकी माँअनायास, अकारण ही । '''मूल अंग्रेज़ी अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनामिका
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