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/* कुछ प्रतिनिधि ग़ज़लें */
* [[एक पत्ता कहीं हिला होता / रवि सिन्हा]]
* [[ख़ला की बून्द थी, फैली तो कायनात हुई / रवि सिन्हा]]
* [[ख़ला में ख़ाक के ज़र्रे फ़साद करते हैं / रवि सिन्हा]]
* [[ख़िरद को ख़्वाब दिखाओ के कायनात चले / रवि सिन्हा]]
* [[ग़ैब होगा सुराग़ भी होगा / रवि सिन्हा]]