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Kavita Kosh से
किसी का दुख पूछो-
ये पाप बड़ा।
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सोया है शीत
ओढ़ शुभ्र दूकूल
गहन निद्रा।
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हिम-अंधड़
करे क्रुद्ध गर्जन
बधिर नभ।
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