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ग़म न कर / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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01:58, 2 फ़रवरी 2020
दुआओं का असर हो न हो यह तो मुमकिन
बद्दुआएँ मगर कभी पीछा न छोड़ती ।
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बद्दुआएँ तो थीं हज़ारों हमारी हस्ती मिटाने को
ये तेरी ही दुआ होगी,जो तूफ़ाँ से बचाने निकली ।
<poem>
वीरबाला
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