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{{KKRachna
|रचनाकार=ओम बधानी
}}
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<poem>
आज रूसै क भिंगरैक,द्यू माया कू बुझैक
मन अंध्यारू कैक जाणि छै त ज,
पर, आलि मेरि याद,त्वै रूवालि मेरि याद
बगलि बसंती बयार आलि फुलू मा फुलार
देखि रंग्यां मुखड़ा,उलार उठलु जिकुड़ा
तब आलि मेरि याद, त्वै रूवालि मेरि याद
अस्यो पस्यो लत-पत,गळि तिसालि फट-फट
रूड़ि काम धाण म,उदासी भमाण म
त्वै आलि मेरि याद,रूवालि मेरि याद
होलु यकुलू सरेल,मन खुद कू कुयेड़ू
आंख्यों बरखा क लड़ा उठलि टीस जिकुड़ा
तब आलि मेरि याद, त्वै रूवालि मेरि याद
मेळा त्यारू का समौ,ब्यौ कारिजू कि दौं
बिंन्दुलि च्यूड़ी मुल्यौंद,कै ब्यौलि तैं सजौंद
आलि मेरि याद, त्वै रूवालि मेरि याद
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=ओम बधानी
}}
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<poem>
आज रूसै क भिंगरैक,द्यू माया कू बुझैक
मन अंध्यारू कैक जाणि छै त ज,
पर, आलि मेरि याद,त्वै रूवालि मेरि याद
बगलि बसंती बयार आलि फुलू मा फुलार
देखि रंग्यां मुखड़ा,उलार उठलु जिकुड़ा
तब आलि मेरि याद, त्वै रूवालि मेरि याद
अस्यो पस्यो लत-पत,गळि तिसालि फट-फट
रूड़ि काम धाण म,उदासी भमाण म
त्वै आलि मेरि याद,रूवालि मेरि याद
होलु यकुलू सरेल,मन खुद कू कुयेड़ू
आंख्यों बरखा क लड़ा उठलि टीस जिकुड़ा
तब आलि मेरि याद, त्वै रूवालि मेरि याद
मेळा त्यारू का समौ,ब्यौ कारिजू कि दौं
बिंन्दुलि च्यूड़ी मुल्यौंद,कै ब्यौलि तैं सजौंद
आलि मेरि याद, त्वै रूवालि मेरि याद
</poem>