भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ऋतु त्यागी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ऋतु त्यागी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
हर फ़िक्र को धुएँ में उड़ाती लड़की
एक बे-परवाह-सी दोपहर में
परंपरा के लिफ़ाफ़े में बंद अपने आसपास की
दबी -छिपी, थकी -मांदी, औचक निगाहों को
लौटा रही है जैसे लौटा देते हैं उधारी
लड़की अपने छोटे कपड़ों में उतनी ही सहज है
जितना सहज भोर के माथे पर रखा सूरज
या आकाश की छत पर गुनगुनाता चाँद
लड़की अकेली है !
नहीं नहीं एक साथी भी है
साथी ऐसा
एक हथेली में दूसरी हथेली की करवट जैसा
दोनों प्रेम को सरका रहें है
सिगरेट के कसमसाते कश में
दोनों के बीच एक पुल है मौन का
पर प्रेम में संवाद है
उनका प्रेम कुछ ऐसा
धुएँ के आवारा बादल जैसा
जो लड़की के चेहरे पर गिरा देता है
बारिश की नशीली बूँदें
धीरे-धीरे लड़की घुल रही है हवा में
ठीक वैसे ही
जैसे धीमी आँच पर पकती चाय में घुलती है चीनी
जिसका स्वाद ज़बान पर चिपककर रह जाता है
लड़की अभी-अभी निकली है
महकते झोंके-सी
सबकी निगाहें थोड़ा पीछा कर लौट आयीं हैं
अपने-अपने दड़बों में
और
हवा मीठी ख़ुमारी में कल-कल बह रही है।
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,484
edits