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1.इस जहां से जब उजाले मिट गए,
दोषियों के दोष काले मिट गए।
 
क्यों जहां में बढ़ रही हैं नफ़रतें,
क्या मोहब्बत करने वाले मिट गए।
2.ख़ुद थे अपनी जान के दुश्मन हमीं काश! दिल से उतर गए होते,सब हदें पार कर गए होते।सांसें लेना भी छोड़ देते हम,आप अगर बोलकर गए होते।आस्तीं में साँप पाले मिट गए।
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