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{{KKRachna
|रचनाकार=मोहित नेगी मुंतज़िर
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGadhwaliRachna}}
<poem>
सभी जाणा देहरादून,गौं मा औणा बस जून
अभी पलायन कु यू ,नयूँ नयूँ दौर चा।
बांजु पडयू घोर बार , चोक दंडयाली तिबार
वख एक कमरा कु किराया कु घोर चा।
भेर काम धाम छोडॉ, यख ऐके काम जोड़ा
दिखये जालु के ते यख कथगा सगोर चा
शुद्ध हवा ,दानु , पानी ,काम धाम खाणि लाणी
अपना पहाड़ की त बात कुछ ओर चा ।
</poem>
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सभी जाणा देहरादून,गौं मा औणा बस जून
अभी पलायन कु यू ,नयूँ नयूँ दौर चा।
बांजु पडयू घोर बार , चोक दंडयाली तिबार
वख एक कमरा कु किराया कु घोर चा।
भेर काम धाम छोडॉ, यख ऐके काम जोड़ा
दिखये जालु के ते यख कथगा सगोर चा
शुद्ध हवा ,दानु , पानी ,काम धाम खाणि लाणी
अपना पहाड़ की त बात कुछ ओर चा ।
</poem>