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[[Category:हाइकु]]
<poem>
7उठते गएभवन फफोले- सेहरी धरा पे8ठूँठ जहाँ हैंकभी हरे-भरे थेगाछ वहाँ पे913
घायल पेड़
सिसकती घाटियाँ
बिगड़ा रूप
10
लोभ ने रौंदी
गिरिवन की काया
घाटी का रूप
11
हरी पगड़ी
हर ले गए बाज़
चुभती धूप
12
हरीतिमा की
ऐसी किस्मत फूटी
छाया भी लूटी
13
कड़ुआ धुआँ
लीलता रात-दिन
मधुर साँसें
14
सुरभि रोए