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'''तेरे नेह का पाश'''
'''छीन न लेना।'''
{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' |संग्रह= }}[[Category:हाइकु]]<poem>11ओ मेरे मन !बन्द द्वारों में छुपीईर्ष्या -0-नागिन।12व्यर्थ समृद्धिप्राण हैं हलकानबची थकान।13सत्य न दिखाहर द्वार जाकरझूठ ही लिखा।14दुर्बोध लिपिकेवल वही पढ़े,जो सृष्टि गढ़े।15थामे रहनाआशाओं का आँचलटूटेगा छल।16सबको मिटाजीने की लालसा मेंकोई न जिया।17खुलेंगे द्वारटूटेंगे ये पिंजरेरहना मौन।18सूने नगरबदहवास बाटहँसे मसान।19मोह के पाशटूट गए पल मेंअन्तिम यात्रा।20एक ही आसतेरे नेह का पाशछीन न लेना।</poem>