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03:51, 15 मई 2020
Din gulab hone do{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=ओमप्रकाश सारस्वत|संग्रह=दिन गुलाब होने दो / ओमप्रकाश् सारस्वत}}<poem>'''दिन''' लिख रहे हैं धुंध कुंद हो रहा उजास आस क्या करे?
<Poem> Din'''पहाड़''' Omprakash sarswatपढ़ रहे हैं बर्फ सर्द पड़ी रही उमंग रंग क्या करे?
'''Dinसूर्य'''likh rahen hain dhundhदे रहा दग़ाkund ho raha ujasजगा न भोर का हुलास aas kaya kereहास क्या करे? '''pahad'''
padh rahen berf'''रक्त'''sard padi rahi umangरेत पर लुटा rang kaya kereउगा न गंध न पराग राग क्या करे?
'''surya''' de raha dagajaga na bhor ka hulashas kaya kere? '''rakt'''ret per lutauga na gandh na ragparag kaya kere?'''dhupधूप''' badalon me royeबादलों में रोए dhoye minanatenढोए मिन्नतें हज़ार rang kaya kereप्यार क्या करे?</poem>Mukesh Negi