भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कविता-3 / रवीन्द्रनाथ ठाकुर

154 bytes added, 06:18, 12 सितम्बर 2008
{{KKGlobal}}
{{KKAnooditRachna
|रचनाकार=रवीन्द्रनाथ ठाकुर
}}
[[Category:बांगला]]
<poem>
गर्मी की रातों में
जैसे रहता है पूर्णिमा का चांद
अंग्रेजी से अनुवाद - कुमार मुकुल
</poem>