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Kavita Kosh से
समर्पण में कोई कमी रह गयी है,
मधुर प्यारे प्यार के उन सुगन्धित क्षणों में,
तुम्हें मुझसे कोई शिकायत नहीं थी,
न कोई गिला था तुम्हारे हृदय में,