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4.
फीकी है हर चुनरीचूनरी, फीका हर बन्देजजो रंगता है रूप को , वो असली रंगरेज रंगरेज़
5.
तन बुनता है चादारियाचदरिया, मन बुनता है पीर
एक जुलाहे सी मिली, शायर को तक़दीर