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Kavita Kosh से
प्रेम नगर से जब भी गुज़रना
अनगिन बूँदों में कुछको कुछ को ही
आता है फूलों पे ठहरना
बरसों याद रखे रखें ये मौजेमौजें
दरिया से यूँ पार उतरना