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बात क्या-क्या बनाता रहा रात भर।
ढाई' आखर नहीं बोल पाया मुआ, जाने' क्या-क्या सुनाता रहा रात भर।
एक रोटी टँगी-सी लगी व्योम में,
निज प्रभा को छिपा भानु खद्योत की-
अस्मिता को बचाता रहा रात भर।
आधार छन्द–वाचिक स्रग्विणी
मापनी–गालगा गालगा-गालगा गालगा
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