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मूँगफली / ओम नीरव

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छोटी-छोटी बीन-बीन कर, रहे चबाते खुद 'नीरव',
बड़ी-बड़ी मित्रो मित्रों की खातिर ख़ातिर, रहे बचाते मूँगफली।
</poem>
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