भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
43 bytes removed,
12:46, 7 जुलाई 2020
|संग्रह=कनुप्रिया / धर्मवीर भारती
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
नीचे की घाटी से
ऊपर के शिखरों पर
जिस को जाना था वह चला गया -
हाय मुझी पर पग रख
मेरी बाँहों से
इतिहास तुम्हें ले गया!
नीचे की घाटी से<br>सुनो कनु, सुनोऊपर क्या मैं सिर्फ एक सेतु थी तुम्हारे लिएलीलाभूमि और युद्धक्षेत्र के शिखरों पर<br>जिस को जाना था वह चला गया -<br>हाय मुझी पर पग रख<br>मेरी बाँहों से<br>इतिहास तुम्हें ले गयाअलंघ्य अन्तराल में!<br><br>
सुनो कनुअब इन सूने शिखरों, सुनो<br>मृत्यु-घाटियों में बनेक्या मैं सिर्फ एक सेतु थी तुम्हारे लिए<br>लीलाभूमि और युद्धक्षेत्र सोने के<br>पतले गुँथे तारों वालों पुल- साअलंघ्य अन्तराल में!<br><br>निर्जननिरर्थककाँपता-सा, यहाँ छूट गया - मेरा यह सेतु जिस्म
अब इन सूने शिखरों, मृत्यु-घाटियों में बने<br>सोने के पतले गुँथे तारों वालों पुल- सा<br>निर्जन<br>निरर्थक<br>काँपता-सा, यहाँ छूट गया - मेरा यह सेतु जिस्म<br><br> - जिस को जाना था वह चला गया</poem>