भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatNazm}}
 
{{KKVID|v=vczs_MZKx-c}}
<poem>
तेरे खुशबू में बसे खत मैं जलाता कैसे
प्यार में डूबे हुए खत मैं जलाता कैसे
तेरे हाथों के लिखे खत मैं जलाता कैसे
 
जिनको दुनिया की निगाहों से छुपाए रखा
जिनको इक उम्र कलेजे से लगाए रखा
दीन जिनको, जिन्हे ईमान बनाए रखा
तेरे खुशबू में बसे खत मैं जलाता कैसे
 
जिनका हर लफ़्ज़ मुझे याद था पानी की तरह
याद थे जो मुझको जो पैगामे ज़बानी की तरह
मुझको प्यारे थे जो अनमोल निशानी की तरह
तेरे हाथों के लिखे खत मैं जलाता कैसे
 
तूने दुनिया की निगाहों से जो बचकर लिखे
सालहा साल मेरे नाम बराबर लिखे
कभी दिन में तो कभी रात को उठकर लिखे
 
तेरे खुशबू में बसे खत मैं जलाता कैसे
प्यार में डूबे हुए खत मैं जलाता कैसे
Mover, Reupload, Uploader
3,967
edits