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नव सृजन / मनीष मूंदड़ा

3 bytes removed, 17:14, 20 जुलाई 2020
एक नयी ज़िन्दगी का आगमन
नई भोर से आचमन
नयीं नवेली आशाओं का परदार्पणपदार्पण
संघर्षों का तर्पण
सदैव तत्पर रहने का प्रण
फिर एक नया रण
कठिन होगी राह मगर
कुछ नया सर्जन सृजन होगा
विचारों का अतिरेक होगा
एक नया स्पंदन होगा
नए सूर्य का आगमन होगा
सुहानी-सी भोर होगी
देखो परस्फूटित प्रस्फुटित फिर से जीत होगी।
</poem>
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