भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दिन / अजित कुमार

No change in size, 19:53, 20 सितम्बर 2008
:बन्धनों को काटकर उठता-
:दिखा गोला चाँद चांद का, ज्यों दहकता शोला ।
:दूर छिटके कई तारे चिनगियों जैसे …
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,435
edits