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|रचनाकार=कुमार विक्रम
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
चुप रहना चुप्पी के तरीकों में
सर्वश्रेष्ठ तरीका नहीं माना जाता
वैसे ही जैसे यह ज़रूरी नहीं
कुछ न कुछ बोलते रहना
कुछ कहने के तरीकों में
शुमार हो ही जाए
दरअसल कुछ-कुछ बोलते रहना
चपर चपर करते रहना
शोर मचाते रहना
चुप्पी की कला के
श्रेष्ठतम तरकीबों में से है
शोर के बीच चुप्पी
कुछ इस कदर बैठ जाती है
मानो बच्चों के बीच
कोई बौना छुप गया हो
''‘उद्भावना ‘ 2015''
</poem>
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चुप रहना चुप्पी के तरीकों में
सर्वश्रेष्ठ तरीका नहीं माना जाता
वैसे ही जैसे यह ज़रूरी नहीं
कुछ न कुछ बोलते रहना
कुछ कहने के तरीकों में
शुमार हो ही जाए
दरअसल कुछ-कुछ बोलते रहना
चपर चपर करते रहना
शोर मचाते रहना
चुप्पी की कला के
श्रेष्ठतम तरकीबों में से है
शोर के बीच चुप्पी
कुछ इस कदर बैठ जाती है
मानो बच्चों के बीच
कोई बौना छुप गया हो
''‘उद्भावना ‘ 2015''
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