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टुक हिर्सो-हवस<ref>लालच</ref> को छोड़ मियां, मत देस विदेश फिरे मारा।
क़ज़्ज़ाक़<ref>डाकू</ref> अजल<ref>मौत</ref> का लूटे है, दिन रात बजाकर नक़्क़ारा।
क्या बधिया, भैंसा, बैल, शुतर<ref>ऊंट</ref> क्या गोनंे गोने पल्ला सर भारा।
क्या गेहूं, चावल, मोंठ, मटर, क्या आग, धुंआ और अंगारा।
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा, जब लाद चलेगा बंजारा॥1॥
गर तू है लक्खी बंजारा और खेप भी तेरी भारी है।
ऐ ग़ाफ़िल, तुझ से भी चढ़ता एक और बड़ा व्यापारी है।
क्या शक्कर , मिश्री , क़ंद , गरी , क्या सांभार सांभर मीठा खारी है।क्या दाख, मुनक़्क़ा सोंठ, मिरच, क्या केसर , लौंग , सुपारी है।
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा, जब लाद चलेगा बंजारा॥2॥