भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
2,134 bytes removed,
18:35, 16 अगस्त 2020
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कुमार सौरभ
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
दफा हो जाओ
अपने कविता-कथा-आलोचना संकलनों
विज्ञापनों और
आत्मप्रचार के सारे हथकंडों के साथ
पदप्रच्छालन से प्राप्त डिग्रियों
प्रकाशन के आँकड़ों
घोर स्वार्थ, छल, जुगाड़
पुरस्कारों के साथ
संपादक-उपसंपादक की हैसियत
लच्छेदार बातों के साथ
प्रधानमंत्री की त्रासद हरकतों की
हास्यास्पद आलोचनाओं के साथ
लाल सलाम की ठगध्वनि
झूठे आक्रोश
दिखावटी तेवर
व्यर्थ की बहसों
लम्बे फोन कॉल्स के साथ
अपनी व्यक्तित्वहीनता
रीढ़ की हड्डियों के आभासी झुकाव
बदनियती, बेइमानी, आत्ममुग्धता और
अहंकारों के साथ
अपने रद्दी सुझावों
दुर्भावनापूर्ण सहानूभूति
कुंठाओं, काइयांपन
कायरता के साथ
अपनी प्रोफेसरी,पागलपन और
छिछोरेपंती के साथ
मुझे गरिमामय जीवन के संघर्ष में
शामिल रहना है
बारीक पहचान करते हुए लगातार
सच और न्याय के पक्ष में
खड़ा रहना है
अनिवार्य है कि कुसंगति से दूर रहना है !!
</poem>