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बुढ्ढी के बाल / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
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17:37, 21 अगस्त 2020
बच्चे देख हुए खुश हाल।
लाल लाल बुढ्ढी के बाल।
लेकर आया लल्लू लाल,
लाल लाल बुढ्ढी के बाल।
हरे गुलाबी पीले भी हैं।
स्वेत बैगनी नीले भी हैं।
सजे धजे बैठे डिब्बे में,
साफ़ और चमकीले भी हैं।
इतने सारे रंग सामने,
बच्चे देख हुए खुश हाल।
लाल लाल बुढ्ढी के बाल।
मुन्नी ने पीला खुलवाया।
छुन्नी को तो हरा सुहाया।
चुन्नू बोला नीला लूंगा।
राम गुलाबी पर ललचाया।
कल्लूजी ने लाल चबाया,
ओंठ हो गए लाल गुलाल।
लाल लाल बुढ्ढी के बाल।
</poem>
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