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|रचनाकार=सर्वेश अस्थाना
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
मित्र क्षेत्र में प्रेम क्षेत्र में युद्ध नहीं होता।
युद्ध अगर है तो समझो मन शुद्ध नहीं होता।।
परिचय होता आसमान के बादल सा,
और प्रगाढ़ हुआ नयनों के काजल सा।
पागल मन बौराये किन्तु प्रबुद्ध नहीं होता
मित्र क्षेत्र में...
धीरे धीरे अभिलाषाओं के अंकुर फूटे,
प्रकृति शक्ति से अवरोधों के बंधन टूटे।
मन का पथ ऐसा जो अवरुद्ध नहीं होता।
मित्र क्षेत्र में युद्ध....
उम्र वर्ग भाषा रंग इसमें कहाँ ठहरते हैं,
मित्र, प्रेम के झंडे झण्डी स्वयं फहरते हैं।
जहाँ प्रेम पथ, पथिक वहाँ पर क्रुद्ध नहीं होता।
मित्र क्षेत्र में.....
आओ मित्र क्षेत्र को अपना राग बनाएं,
एक दूजे को सुनें और बस उसे सुनाएँ।
झँकार हीन मन सुनो कभी परिशुद्ध नहीं होता।।
प्रेम क्षेत्र में मित्र प्रेम में युद्ध नहीं होता।।
</poem>
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मित्र क्षेत्र में प्रेम क्षेत्र में युद्ध नहीं होता।
युद्ध अगर है तो समझो मन शुद्ध नहीं होता।।
परिचय होता आसमान के बादल सा,
और प्रगाढ़ हुआ नयनों के काजल सा।
पागल मन बौराये किन्तु प्रबुद्ध नहीं होता
मित्र क्षेत्र में...
धीरे धीरे अभिलाषाओं के अंकुर फूटे,
प्रकृति शक्ति से अवरोधों के बंधन टूटे।
मन का पथ ऐसा जो अवरुद्ध नहीं होता।
मित्र क्षेत्र में युद्ध....
उम्र वर्ग भाषा रंग इसमें कहाँ ठहरते हैं,
मित्र, प्रेम के झंडे झण्डी स्वयं फहरते हैं।
जहाँ प्रेम पथ, पथिक वहाँ पर क्रुद्ध नहीं होता।
मित्र क्षेत्र में.....
आओ मित्र क्षेत्र को अपना राग बनाएं,
एक दूजे को सुनें और बस उसे सुनाएँ।
झँकार हीन मन सुनो कभी परिशुद्ध नहीं होता।।
प्रेम क्षेत्र में मित्र प्रेम में युद्ध नहीं होता।।
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