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|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
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<poem>
बे-रब्त से कामों में भी रम जाता है
जिस काम में लग जाये वही भाता है
मासूम मगर इतना कि कुछ करता रहे
बच्चे की हर बात पे प्यार आता है।
</poem>
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