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{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश तन्हा
|अनुवादक=
|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
}}
{{KKCatRubaayi}}
<poem>
वो जलती दुपहरी वो ठिकाना क्या था
पोखर ही में वो सब का नहाना क्या था
छतनार की छाया में वो सब का मिलना
वो गांव का, बचपन का ज़माना क्या था।
</poem>
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|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
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वो जलती दुपहरी वो ठिकाना क्या था
पोखर ही में वो सब का नहाना क्या था
छतनार की छाया में वो सब का मिलना
वो गांव का, बचपन का ज़माना क्या था।
</poem>