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|रचनाकार=अंबर खरबंदा
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
मोम सा दिल, रेत जैसी प्यास, सब कुछ मिल गया
आप हैं जब से हमारे पास, सब कुछ मिल गया
प्रेम उत्सव, प्रीत का मधुमास सब कुछ मिल गया
है ह्रदय में आपका आवास, सब कुछ मिल गया
नख से शिख तक एक अनुपम शिल्प का प्रारूप तुम
और उस पर रूप का अनुप्रास, सब कुछ मिल गया
आपने कुछ भी न पाया प्रेम में लेकिन हमें
दाह, पीड़ा, वेदना, संत्रास, सब कुछ मिल गया
प्रेम में सब कुछ लुटा देने का साहस हो जिन्हें
उनको रहता है यही विश्वास सब कुछ मिल गया
</poem>
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|संग्रह=
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मोम सा दिल, रेत जैसी प्यास, सब कुछ मिल गया
आप हैं जब से हमारे पास, सब कुछ मिल गया
प्रेम उत्सव, प्रीत का मधुमास सब कुछ मिल गया
है ह्रदय में आपका आवास, सब कुछ मिल गया
नख से शिख तक एक अनुपम शिल्प का प्रारूप तुम
और उस पर रूप का अनुप्रास, सब कुछ मिल गया
आपने कुछ भी न पाया प्रेम में लेकिन हमें
दाह, पीड़ा, वेदना, संत्रास, सब कुछ मिल गया
प्रेम में सब कुछ लुटा देने का साहस हो जिन्हें
उनको रहता है यही विश्वास सब कुछ मिल गया
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