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कवि: [[डॉ॰ जगदीश व्योम]]{{KKGlobal}}[[Category:कविताएँ]]{{KKRachna[[Category: डॉ॰ |रचनाकार=जगदीश व्योम]] ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*}}
सो गई है मनुजता की संवेदना
इनमें ढल जाइए या चले आइए।
 
 
-डॉ॰ जगदीश व्योम