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मन चमन हो गया / कमलेश द्विवेदी

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ख़ुशबुओं से हुई
तर-ब-तर ज़िन्दगी।
बासर बाअसर हो गई
बेअसर ज़िन्दगी।
गंध का यों घना आयतन हो गया।
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