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कौनो गुदगुदाय मुसकावैं। फुसुर फुसुर सब्‍बो गोठियावैं॥
नइ अय कुछू ठिकाना दाई !। सुने ओ! कैसे कथैं कन्हाईॽ॥
एखरे खातिर ..... चोली छूथै। झुरमुट करथै लूसे लेथै॥
जान गयेन मनसूभा भइ गय। दूध दही के लालच नइ अय॥
मात गहन मस्ती में मोहन। गंज बेरी में गम पाये हन॥
चलो अओ जसुदा मेर जाबो। बेटा-के गुण ला-गोंठियाबो॥
..... घुसड़ अभी जाहै सब्‍बो हर। सबो बड़े आपन आपन घर॥
आज सबो मरजाद अओ! गै। यही लुवाठ गौंटिया हो-गै॥
सुन्‍ना पा के हुरमत लेथै। मुँह आथै तौने कहि देथै॥