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विधवा गम्भीर चेहरा बनाकर कुरसी पर बैठ जाती है
उसके पास पहुँचने के लिए लोग एक लाईन सी बना लेते हैं
कुछ उसका हाथ थामकर सान्त्वना देते थामकर सान्त्वना देते हैं, तो कुछ उसे गले लगा लेते हैं
वह सभी से कुछ न कुछ कहती है
और उनका आभार व्यक्त करती है
लेकिन वही उसकी अकेली उम्मीद है
पीछे वापिस लौटने की इच्छा, थोड़ा-सा पीछे
लेकिन शादी और पहले चुम्बन तक, इतना ज़्यादा पीछे ज़्यादा पीछे भी नहीं ।
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''