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|रचनाकार=मोहित नेगी मुंतज़िर
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
रूमझुम तण मण बरखणु बसग्याल
जगा जगा पाणी का स्रोत फूटण लग्यां
बेटी ब्वारी तिर्पिंड इकलवास्या धाणि पर
कोदा झंगोरा की हेरी सार गोडण लाग्यां
छोरा मदमस्त हवेकी बरखा मा भीगणान
गोरु घसएरी अर गवेर घोर बोडन लाग्यां
ऋतुऊँ मा ऋतुराज बसन्त या बसग्याल
दाना स्याना बुद्धिमान बैठी सोचण लाग्यां।
</poem>
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रूमझुम तण मण बरखणु बसग्याल
जगा जगा पाणी का स्रोत फूटण लग्यां
बेटी ब्वारी तिर्पिंड इकलवास्या धाणि पर
कोदा झंगोरा की हेरी सार गोडण लाग्यां
छोरा मदमस्त हवेकी बरखा मा भीगणान
गोरु घसएरी अर गवेर घोर बोडन लाग्यां
ऋतुऊँ मा ऋतुराज बसन्त या बसग्याल
दाना स्याना बुद्धिमान बैठी सोचण लाग्यां।
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