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मलम लगाऊ आर्तहरूको, चहराइरहेको घाउ
मानिस भई ईश्वरको यो दिव्य मुहार हँसाऊ।
 
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''यस कविताको हिन्दी-उर्दु अनुवाद-''
'''[[राही / लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा / सुमन पोखरेल]]'''
'''[[मुसाफिर / लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा / सुमन पोखरेल]]'''
 
''इस कविता का हिंदी-उर्दू अनुवाद-''
'''[[राही / लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा / सुमन पोखरेल]]'''
'''[[मुसाफिर / लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा / सुमन पोखरेल]]'''
</poem>
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