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अब लोगों को कौन बताए क्या सच हैदिल पर हमारे ज़ख़्म हैं ये सब की आंखों के आगे धुंधला सच हैनये नयेतरकश में रोज़ तीर हैं साहब नये नये
कोई भी तैयार नहीं हमने तो सब के सामने रख दी है पीने कोअपनी बात वक़्त के हाथों में इतना कड़वा सच हैदिन भर निकाले जायेंगे मतलब नये नये
जेसै हमने भी हो हज़्म तुझे करना होगाख़ूब ज़ख़्म सहे दुख उठाये हैं मेरे बेटे ये तेरा पहला सच हैज़ालिम की ज़द में आए थे हम जब नये नये
अपनी आंखें धोका हमको भी खा सकती हैंझूट ने सर से पावं तलक पहना सच है हाथ क़लम होने कुछ सिखाईये आदाब इश्क़ के बाद में सोचेंगेयार अभी जो लिखना है लिखना सच है झूट लिखेंगे हम तो क़लम की है तौहीनहम को अपनी ग़ज़लों में लिखना सच हैभी हुए हैं दाख़िल ए मकतब नये नये
पहले तो होगा दोस्तों का इंतज़ाम
सपने दिखाए जायेंगे फिर सब नये नये
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